Wednesday, April 3, 2013

अँधेरे और उजाले

हो सकता है हमारी औकात आज छाए हुए अंधेरों से बहुत छोटी हो, लेकिन खुद को जला कर भी अगर हम दुनिया को अँधेरे और उजाले का अंतर याद दिला पाए तो भी सुकून होगा क्यूंकि इसी से अन्धकार से उजाले की और चलने की ललक जागती है...तमसो माँ ज्योतिर्गमय....! जो सिर्फ आलोचना,गालियाँ और निंदा में रत हैं उन्हें क्या ज़वाब दें...!
ईश्वर,देश,दोस्त और आप सब की दुआयें मिलतीं रहें...बस...! 

"मैं तो जुगनू हूँ मुझे स्याह रात काटनी है ,
वो तो ज्ञानी हैं उन्हें सिर्फ बात काटनी है...!"

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