Sunday, January 20, 2013

जीवन एक पहेली है

जीवन एक पहेली है अपनी मौत सहेली है, 
खट्टी मीठी यादों की रोज़ निकलती रेली है, 

इर्ष्या की एक चिंगारी दावानल सी फैली है, 
कामवासना है मक्खी देह तो गुड की भेली है, 

झूठ है मिश्री सा मीठा सत्य नीम की गोली है, 
पुण्य भटक गया जंगल में पाप करे रंगरेली है, 

जीवन के इस मेले में मृत्यु स्वयं अकेली है, 
प्रीत की कोरी चादर को सबने कर दी मैली है,

दुःख में राजा भोज यहाँ सुख में गंगू तेली है,  
जीवन एक पहेली है अपनी मौत सहेली है, 

 रचियता 
-कोमल गाँधी 
(From My Diary)


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